"गरीबी से अमीरी तक: आप विश्वास नहीं करेंगे कि इस बैंक के अंदर क्या होता है!"

उस मैसेज को पढ़ते ही बारिश के बावजूद रोनित का चेहरा सूरज की तरह खिल उठा था। उसने फोन पर आए संदेश को खत्म किया ही था कि बारिश की बूँदें उसके फोन पर गिरने लगीं। थोड़ी देर की खुशी के बाद, रोनित को याद आया कि वह सच में गरीब नहीं था।


असल में, उसके परिवार ने उसे एक परीक्षा में डाल दिया था, जिसका नाम था गरीबी अभ्यास परीक्षा। इस परीक्षा के तहत रोनित को अग्रवाल परिवार की संपत्ति और जायदाद पर तब तक हक नहीं मिल सकता था जब तक वह इस परीक्षा को पास नहीं कर लेता। अचानक उसे याद आया कि वह गरीब नहीं था, बल्कि गरीब होने की परीक्षा दे रहा था। हालाँकि, परीक्षा देते-देते उसे आठ साल हो गए थे, और अब उसे लगने लगा था कि वह कभी इस परीक्षा को पास नहीं कर पाएगा और हमेशा गरीब ही रहेगा।


"अच्छा हुआ चली गई! अब मिलना कभी!" रोनित ने होटल की तीसरी मंज़िल की ओर देखा और पानी में पैर पटक दिया। वह डिंपल को कोस रहा था। उसने अपनी मोटरसाइकिल उठाई और फिर से चमन मेडिकल स्टोर की ओर मुड़ गया।


अगले दिन जब रोनित की आँख खुली, तो वह सीधा उठा और तैयार होकर शहर के सबसे बड़े बैंक, न्यू सिटी बैंक, पहुंचा। न्यू सिटी बैंक सिर्फ़ शहर का सबसे बड़ा बैंक नहीं था, बल्कि सबसे अमीर लोगों के पैसे भी वहीं जमा होते थे। रोनित वहां पैसे निकालने के लिए जा रहा था। बैंक के बाहर महँगी गाड़ियाँ खड़ी थीं।


"भाई, अब इसमें से कौन सी गाड़ी लूँ?" रोनित ने मन ही मन सोचा। उसे यक़ीन नहीं हो रहा था कि कल तक वह एक मोटरसाइकिल तक नहीं ख़रीद पा रहा था और आज इतनी महँगी कार लेने की सोच रहा था। फिर उसने गाड़ियों से ध्यान हटाकर बैंक के अंदर जाने की कोशिश की। उसने देखा कि बाहर भीड़ थी, और सभी महँगे कपड़े पहने हुए लोग बैंक के अंदर जा रहे थे।


"कहाँ दवाओं की बदबू और कहाँ ये ख़ुशबू!" रोनित ने एक गहरी साँस लेते हुए सोचा। लेकिन अगले ही पल वह अपने कपड़ों को देखकर संकोच में पड़ गया। रातों-रात उसकी किस्मत तो बदल गई थी, पर वह अपने कपड़े नहीं बदल पाया था। इतने बड़े बैंक में वह वही कपड़े पहनकर आ गया था, जो वह रोज़ाना पहनता था।


"पैसे मिलते ही सबसे पहले नए कपड़े ख़रीदने हैं," उसने अपने आप से कहा और बैंक के दरवाजे की ओर बढ़ा।


जैसे ही उसने दरवाज़े को धक्का दिया, एक आवाज़ आई, "आउच!" रोनित हड़बड़ी में था और इस जल्दबाज़ी में वह एक लंबी बालों वाली लड़की से टकरा गया, जो उसके बगल में चल रही थी।


"माफ़ करना, मैंने आपको देखा नहीं," रोनित ने तुरंत हाथ जोड़कर माफी मांगी। लड़की ने इतने अच्छे कपड़े पहने थे कि उसे देखकर ही लग रहा था कि वह किसी अमीर घराने से थी, इसलिए माफ़ी मांगते समय रोनित के हाथ अनायास ही जुड़ गए थे।


लेकिन जब लड़की ने रोनित के कपड़ों और उसके हुलिए को देखा, तो उसने नाक सिकोड़ ली। वह हर रोज़ इस बैंक में आती थी, पर उसने आज तक रोनित जैसे आदमी को बैंक में घुसते नहीं देखा था। उसके बालों में आँवले के तेल की गंध आ रही थी। गुस्से में उसने रोनित को घूरा और कहा, "क्यों नहीं देख पाए? क्या मैं अदृश्य हूँ?"


इससे पहले कि बात आगे बढ़ती, उस लड़की ने देखा कि बैंक की मैनेजर यासमिन पटेल उन दोनों की ओर बढ़ रही थी। यासमिन ने भी रोनित को देखकर वही शक्ल बनाई जो उस लड़की ने बनाई थी।


"आई एम सॉरी, मैम! आपको कहीं चोट तो नहीं लगी?" यासमिन ने लड़की से पूछा और फिर घिन भरी नज़रों से रोनित को देखने लगी।


रोनित अपनी तमतमाई आँखों से उन्हें देखता रहा। उसे पता था कि उसने इतना ज़ोर से दरवाज़ा नहीं खोला था कि उसे चोट लग जाए, पर उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वे लोग उसे नहीं, उसके कपड़ों को देख रहे थे। यासमिन ने रोनित को ऊपर से नीचे तक देखा और उसके मन में शक पैदा हो गया।


"क्या आप बता सकते हैं कि आप यहाँ किस काम से आए हैं?" यासमिन ने मुस्कान लाते हुए पूछा। वह रोनित का हुलिया देखते ही समझ गई थी कि वह यहाँ का कस्टमर नहीं था।


"हाँ, मैं अपना पैसा निकालने आया हूँ," रोनित ने कहा।


"पैसा निकालने आए हो?" यासमिन ने उसकी बात दोहराई। वह ज़ोर से हँसना चाहती थी, पर खुद को काबू में कर लिया।


"क्या आपके पास बैंक का कार्ड है?" यासमिन ने पूछा।


न्यू सिटी बैंक का कार्ड लेना बहुत मुश्किल था। किसी को भी कार्ड लेने के लिए पहले अपने खाते में पाँच लाख रुपए जमा करने पड़ते थे। लेकिन रोनित के पास कार्ड नहीं था, और जब उसने इसका जवाब नहीं दिया, तो यासमिन ने फिर से पूछा, "क्या आपके पास कार्ड है?"


"नहीं!" रोनित ने कहा और इधर-उधर देखने लगा। लंबी बालों वाली लड़की यह सुनकर हँस पड़ी। यासमिन को लगा कि रोनित पागल है, लेकिन लड़की ने मान लिया था कि वह सड़कछाप था। तभी, लड़की के पिता वहाँ आए और बोले, "चलो बेटी।"


लड़की ने जाते-जाते यासमिन को सलाह दी, "अगर ऐसे लोग बैंक में आते रहे, तो बैंक की इमेज खराब हो जाएगी।"


"इसे यहाँ से भगाना पड़ेगा," यासमिन ने कहा। मगर जैसे ही वह बैंक में दाखिल हुई, देखा कि रोनित वहाँ नहीं था। उसने बैंक के हर कोने को देखा, लेकिन रोनित कहीं नहीं मिला। कुछ देर बाद, यासमिन को लगा कि शायद वह बाहर निकल गया होगा।


फिर अचानक, यासमिन की नज़र बैंक के VIP लाउंज के पास खड़े रोनित पर पड़ी। उसने देखा कि वह उस लाउंज के अंदर जा रहा था, जहाँ शहर के अमीर लोग बैठते थे।


"रुको!" यासमिन जोर से चिल्लाई, लेकिन तब तक रोनित अंदर जा चुका था। यासमिन ने दरवाजा खोलने की कोशिश की, पर वह अंदर से लॉक हो चुका था।


अंदर, रोनित ने बैंक मैनेजर से कहा, "मैं यहाँ अपना पैसा लेने आया हूँ।"


"तुम्हारे पास कार्ड है?" मैनेजर ने पूछा।


"नहीं, लेकिन मेरे पास फिंगरप्रिंट है," रोनित ने कहा। मैनेजर को लगा कि शायद यह लड़का सच कह रहा है, तो उसने फिंगरप्रिंट मशीन निकाली। रोनित ने अंगूठा मशीन पर रखा, लेकिन मशीन ने फेल का सिग्नल दिया।


"तुम्हारा फिंगरप्रिंट मैच नहीं कर रहा!" मैनेजर ने कहा। वह पुलिस बुलाने ही वाला था कि रोनि

त घबरा गया। क्या रोनित इस मुसीबत से बाहर निकल पाएगा?


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.